पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश बोले प्रदेश में ‘अंधेर नगरी, चौपट राजा’ की कहावत चरितार्थ हो रही है

लखनऊ (29 जून, 2019)।
पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में 'अंधेर नगरी, चौपट राजा' की कहावत चरितार्थ हो रही है। भाजपा सरकार आंकड़े दबाकर प्रदेश में कानून व्यवस्था के नियंत्रण में होने का खोखला दावा कर रही है जबकि कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब हत्या, लूट, बलात्कार की घटनाएं न घटती हों। भाजपा सरकार के बड़बोलेपन का अपराधियों पर तो कोई असर हुआ नहीं, उल्टे पुलिस ही कानून हाथ में लेकर लोगों को प्रताड़ित करने लगी है। भाजपा राज में स्थिति यह है कि अपराधी भयमुक्त हैं और जनसामान्य भयभीत।

हालत किस कदर बिगड़े हुए हैं इसे जाहिर करने के लिए एक घटना ही पर्याप्त हैं। लखनऊ में एक किशोर को घर से उठाकर पुलिस चैकी में बंद रखा गया। निर्दोष से जुर्म जबरन कबूलवाने के लिए उसको बर्बरता से पीटा और बूट से पैर कुचल डाले। जब ये हाल है तो मुख्यमंत्री जी किस मुंह से अपने राज में शांति व्यवस्था बने रहने की बात करते हैं? मामला भाजपा के किसी नेता का हो तो उसकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती है। पुलिस विवेचना ठंडे बस्ते में चली जाती है।

संडीला (हरदोई) में 8 साल के एक बच्चे का अपहरण करके अपराधियों ने उसकी हत्या कर दी। देहरादून-नैनीताल हाइवे पर बिजनौर पुलिस ने वाहन चेकिंग के दौरान एक अनुसूचित जाति के युवक की ऐसी पिटाई की कि उसकी मृत्यु हो गई। लखनऊ में निगोहा थाने के चौकीदार ने एक युवती से छेड़खानी कर दी। गुडम्बा इलाके में बदमाशों ने घर में घुसकर एक महिला की हत्या कर दी। मेरठ में 44वीं पीएसी वाहिनी के कमाण्ड हाउस से इंसास रायफलें गायब, लौटाने के लिए 3.50 लाख रू. की मांग की गई। इटावा में छह दिनों से एक युवक को थाने में बंद रखा गया। संवेदनहीनता का यह उदाहरण है।

सच तो यह है कि प्रदेश में भाजपा सरकार हर मोर्चे पर विफल है। उसके राज में कोई भी व्यक्ति न तो सड़क पर सुरक्षित है और नहीं जेल में। जेलों में माफिया डान अपने दरबार सजा रहे हैं और वहीं से अपराधिक गतिविधियों का विस्तार कर रहे है। अवैध खनन पर कोई रोक नहीं है। धोखाधड़ी करनेवाली कम्पनियां आराम से लोगों के पैसे लूटकर गायब हो जाती हैं। तमाम अपराधिक मामलों का लम्बे समय से खुलासा ही नहीं हो सका है। पीड़ित का ही उत्पीड़न करना पुलिस ने अपना कर्तव्य मान लिया है।

हद तो यह है कि अगर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र भी अपनी कोई मांग उठाते हैं तो उनके ऊपर लाठियां बरसाई जाती है और गिरफ्तारियां होती है। उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। यह छात्रसंघ समाप्त किये जाने की साज़िश है। भाजपा सरकार की वजह से चारों तरफ अराजकता है। जनता के सब्र का ज्यादा इम्तिहान लेना खतरनाक होगा।

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