पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बोले जनता को गुमराह करने में भाजपा का कोई जवाब नहीं
लखनऊ (04 जुलाई, 2019)। पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि लोक लुभावन घोषणाएं करके जनता को गुमराह करने में भाजपा का कोई जवाब नहीं है। पांच साल पहले हुए लोकसभा चुनावों में जनता को अच्छे दिनों का सुनहरा सपना दिखाया गया था। किसानों की कर्जमाफी, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ गुना, नौजवानों को नौकरी, मंहगाई, भ्रष्टाचार से छुटकारा जैसे तमाम वादे भी किए गए थे। ये वादे वादे ही रह गए। जनता अच्छे दिनों के फेर में बदहाल होती गई। भाजपा सरकार का आधा समय व्यतीत होने को है इसलिए यहां भी भाजपा सरकार ने जनता को बहकाने का काम तेज कर दिया है। ताजा मिसाल है दो साल में हर घर को नल से जल देने की और नमामि गंगे का स्मरण कर राज्य सरकार वाहवाही बटोरना चाहती है। केन्द्र सरकार के पांचसाल बीत गये गंगा जी से किए वादे के बावजूद गंगा न तो निर्मल हुई और नहीं उसको मैला करने वाले नालों पर रोक लगी है। अब 2020 मार्च तक गंगा को निर्मल बनाने का वादा पर कौन विश्वास करेगा? गंगा के साथ यमुना और काली नदी की सफाई भी जरूरी है। तभी अपेक्षित परिणाम मिलते। उत्तर प्रदेश में पेयजल संकट कांफी गंभीर है। बुंदेलखण्ड में बहुत बुरी दशा है। समाजवादी सरकार ने टैंकरो के अलावा तालाबों के पुनरूद्धार का काम भी शुरू किया था। रिकार्ड संख्या में पौधों का वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का काम किया था। भाजपा सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि राजधानी लखनऊ के सभी निवासियों को भी शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। तमाम क्षेत्रों में गंदा या बद्बूदार पानी आने की शिकायतें आम है। कई इलाकों में जलस्तर नीचे जाने से हैण्डपम्प काम नहीं कर पा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रतिव्यक्ति जल उपलब्धता प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत से भी ज्यादा की दर से घट रही थी। ट्यूबवेल के ज्यादा इस्तेमाल से एक तो भूजल स्तर बहुत गिर गया है, दूसरे मिट्टी में लवणता की मात्रा बढ़ती गई है। भारत में तो नदी क्षेत्र वाले इलाकों में भी जलाभाव हो रहा है। वर्ष 2015-16 में किए गए चौथे राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार केवल 30 प्रतिशत भारतीयों तक पेयजल पाइप द्वारा पहुंचता है। ग्रामीण इलाकों में तो 20 प्रतिशत लोगों तक जलापूर्ति सुविधा नहीं पहुंची है। नीति आयोग के अध्ययन के अनुसार वर्ष 2030 तक आपूर्ति की तुलना में जल की मांग दोगुनी से ज्यादा हो जाएगी। इससे भयावह जल संकट की स्थिति बन सकती है। भाजपा स्थिति की गंभीरता को समझने के बजाय उसे बिगाड़ने पर तुली है। इससे प्रदेशवासियों का जीवन संकट में पड़ सकता है।