मंत्री अनुपमा जायसवाल बोलीं शैक्षिक सत्र 2019-20 को “शैक्षिक गुणवत्ता वर्ष” के रूप में मनाया जाएगा

लखनऊ (27 जून, 2019)।
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल ने कहा कि आम जनता का विश्वास परिषदीय विद्यालयों के प्रति निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2016-17 से स्कूलों में छात्र नामांकन निरंतर बढ़ रहा है और उन्होंने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिए जाने के लिए अधिक प्रभावी प्रयास किए जाने पर बल देते हुए कहा कि शैक्षिक सत्र 2019-20 को "शैक्षिक गुणवत्ता वर्ष" के रूप में मनाया जाएगा।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पर्याप्त भौतिक संसाधनों को उपलब्ध कराए जाने के बाद अब बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना विभाग का प्रमुख लक्ष्य है। इसके लिए शासन द्वारा आर.टी.ई के मानक के अनुसार प्रशिक्षित अध्यापकों की तैनाती की गई है।

मंत्री अनुपमा जायसवाल ने सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि विद्यालय परिसर एवं भवन को आकर्षित एवं सुसज्जित रखा जाए एवं विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण कराया जाए। उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन कराया जाए और उनकी उपस्थिति आवश्यक रूप से कम से कम 80 प्रतिशत सुनिश्चित की जाए। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि बच्चों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, पुस्तकें व जूता मोजा अनिवार्य रूप से जुलाई के द्वितीय सप्ताह तक वितरित करा दिए जाएं।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा है कि पाठ्यक्रम का मासिक विभाजन कर अनिवार्य रूप से समय से पूर्ण कराया जाए और विद्यालयों में अध्यापन कार्य निर्धारित समय सारणी के अनुसार प्रतिदिन संपन्न कराया जाए। खेलकूद एवं योग का प्रतिदिन आयोजन किया जाए उन्होंने कहा कि सीखने सिखाने की प्रक्रिया में बच्चों को अनिवार्य रूप से संलग्न किया जाए और गतिविधि आधारित शिक्षण को विशेष रूप से लागू किया जाए। विद्यालयों में प्रतिदिन पूर्वाहन में प्रार्थना सभा आयोजित की जाए जिसमें प्रार्थना के पश्चात महत्वपूर्ण सामाजिक विषय पर बच्चों से संभाषण कराए जाएं। सप्ताह के अंतिम दिन बाल सभा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया जाए। उन्होंने कहा की पठन-पाठन में सहायक शिक्षण सामग्री का पर्याप्त प्रयोग किया जाए।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा की ग्रेडेड लर्निंग कार्यक्रम को और प्रभावी ढंग से लागू किया जाए जिससे छात्र छात्राओं में कक्षा तथा विषय वस्तु हेतु निर्धारित दक्षता और कौशल का विकास हो सके। उन्होंने कहा कि इन गतिविधियों से ना केवल बच्चों की विद्यालयों में नियमित उपस्थिति बढ़ेगी, अपितु बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और उनकी प्रगति से अभिभावकों का भी विद्यालयों से जुड़ाव बढ़ेगा।

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