UP_Dy_CM ने कहा वैकल्पिक खेती प्रणाली कृषकों की आय को बढ़ाने में सहायक

उत्तर प्रदेश।
UP_Dy_CM डाॅ. दिनेश शर्मा ने कुकरैल पिकनिक स्पाॅट रोड स्थित सीमैप लखनऊ में केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौध संस्थान (सीमैप-CSIR) द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम केे अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा खस की खेती पर्यावरण के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ कृषकों की आय को भी बढ़ाने में सहायक होगी। वैकल्पिक खेती प्रणाली को अपनाकर कृषकों की आय को बढ़ाया जा सकता है।

UP_Dy_CM सीमैप-CSIR) द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए
UP_Dy_CM सीमैप-CSIR) द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए

UP_Dy_CM ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खस की खेती उपयोगी साबित हो सकती है और इस दिशा में सी.एस.आई.आर. और सी.एम.ए.पी. (सीमैप) के द्वारा कई प्रयोग किये जा चुके हैं। परम्परागत खेती के साथ-साथ लेमनग्रास की खेती को अपनाकर कृषक अपनी आय को बढ़ा सकते हैं।

UP_Dy_CM सीमैप-CSIR) द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए
UP_Dy_CM सीमैप-CSIR) द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए

सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधि एवं सगंध संस्थान लखनऊ (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार) के औषधीय पादपों पर आईओआरए-आरसीएसटीटी समन्वय केन्द्र एक प्रशिक्षण कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। विदेश मंत्रालय भारत सरकार के मार्गदर्शन में 25 नवम्बर से 01 दिसम्बर, 2018 के दौरान आईओआरए सदस्य देशों के लिए ‘‘औषधीय पादपों के लिए विविधता, प्रलेखन, जीन बैंकिंग और डाटावेस’’ प्रशिक्षण का उद्देश्य औषधीय पादप संसाधनों के प्रबन्धन के लिए ज्ञान प्राप्त करना है, जो औषधीय पौधों, विशेषज्ञों, उत्पादों, संस्थाओं और विनियामक पर एक मजबूत डाटावेस बनाकर ज्ञान भण्डार के विकास को बढावा देगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में भारत सहित 13 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। छः दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान पौधों की पहचान और महत्व तथा औषधीय पौधों और पारम्परिक ज्ञान पर चर्चा होगी।

UP_Dy_CM सीमैप-CSIR) द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए
UP_Dy_CM सीमैप-CSIR) द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए

UP_Dy_CM ने इस अवसर पर कहा कि आय के स्त्रोतों को बढ़ाने के लिए इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम एक प्रकार के वरदान है और यहाँ आये वैज्ञानिकों एवं युवाओं के लिए यह बहुत ही लाभकारी सहायक होगा। प्रशिक्षण किसी भी कार्य में महारथ हासिल करने में सहायक सिद्ध होता है। पौधों के औषधीय गुणों का उपयोग करके मानव शरीर की व्याधियों को दूर करना भारत की परम्परा रही है। वर्तमान में मानव शरीर के तमाम विकारों को दूर करने के लिए जो तकनीक अपनायी जाती है, उसमें भारत की परम्परागत चिकित्सा शिक्षा पद्धति का अहम योगदान है। अथर्ववेद में भी इसका उल्लेख है कि आयुर्वेदिक पौधों का किस प्रकार से उपयोग औषधि निर्माण में किया जाये।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण कल्पना अवस्थी, निदेशक सीमैप अनिल के. त्रिपाठी सहित 13 देशों के प्रतिनिधि एवं वैज्ञानिक और छात्र उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button
btnimage