UPCM सरकार बनते ही न्याय व्यवस्था में हुआ सुधार : डाॅ. चन्द्रमोहन

उत्तर प्रदेश।
UPCM ने प्रदेश में सत्ता संभालने के बाद ही जनता को न्याय दिलाने के लिए त्वरित और सुगम कदम बढ़ाने शुरू कर दिए थे। न्यायिक सुधार की ओर पहल करते हुए UPCM ने सभी कानूनों की समीक्षा कर असामयिक और अनुपयोगी कानूनों की चिन्हित कर समाप्त करने का फैसला किया था।

UPCM सरकार के BJP प्रदेश प्रवक्ता डाॅ. चन्द्रमोहन ने प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि UPCM से निर्देश मिलने के बाद शासन ने अलग-अलग विभागों से अपने कानूनों की समीक्षा करने का आदेश दिया और बेकार हो चुके कानूनों की जानकारी मांगी। इस तरह कुल 252 कानून सामने आए जो असामयिक और अनुपयोगी हैं।

UPCM की अध्यक्षता में 20 मार्च को हुई कैबिनेट बैठक में इन कानूनों को समाप्त करने का अभूतपूर्व निर्णय लिया जाना यह UPCM सरकार का न्याय सुधार की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे न केवल विभागों को कानूनी झंझटों से मुक्ति मिल सकेगी बल्कि जनता को भी इनके दुरुपयोग से होने वाली दिक्क्तों को निजात मिलेगी। इतना ही नहीं प्रदेश में न्याय व्यवस्था मजबूत करने के लिए 111 परिवार न्यायालय, 13 व्यावसायिक अदालतें, भू-अर्जन अदालतें बनाई जा रही हैं।

डाॅ. चन्द्रमोहन ने कहा कि 20 जिलों में जिला विधिक प्राधिकरण बनाकर गरीबों को न्याय दिलाया जा रहा है। मध्यस्थता केंद्रों के लिए 50 करोड़ रुपए के बजट की व्यवस्था की गई है। प्रदेश की न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर किये जा रहे उपाय स्वागत योग्य हैं। इतना ही नहीं आम जनता की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए भाजपा सरकार ने अदालतों में शौचालय के निर्माण पर भी 20 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है।

साथ ही यह भी बताया कि न्याय व्यवस्था में सुधार से प्रदेश में रहने वाले हर तबके को राहत मिलेगी और यही ‘सबका साथ, सबका विकास’ के रूप में भाजपा सरकार का मूलमंत्र भी है।

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