UPCM सरकार में कन्नौज में स्वास्थ्य विभाग की 108 एम्बुलेंस सेवा बनी कमाई का जरिया

उत्तर प्रदेश।
UPCM सरकार में स्वास्थ्य विभाग और उनकी सेवाओं का क्या हाल है यह किसी से छुपा नहीं। ऐसे में जब मीडिया ने जीवन-दायनी नाम से जानी जाने वाली 108 एम्बुलेंस सेवा की हकीकत देखी तो हैरान कर देने वाली तस्वीरे सामने आई। जिसको देख हर कोई सोचने पर मजबूर हो जायेगा। एक ओर जहाँ शिकायते आती हैं कि 108 एम्बुलेंस का फोन नहीं लगा या समय से नहीं पहुंची जिसके कारण कभी कभी लोगों को अपनी जान तक गवानी पड़ जाती है। ऐसे में कन्नौज जिले में तैनात 108 एम्बुलेंस सेवा मरीजों को लाने काम काम तो नही कर रही लेकिन किराये पर चलने और तेल से भरे डिब्बों को ढोने का काम जरुर कर रही है। देखिये UPCM जी आपकी 108 एम्बुलेंस सेवा कैसे स्वास्थय महकमे की धज्जिया उड़ा रही है?

कन्नौज के सौरिख थाना क्षेत्र में 108 एम्बुलेंस सेवा में तैनात कर्मचारी चंद पैसों की लालच में खुलेआम मरीजों की जगह तेल के डिब्बों को भर रहे हैं और किराये पर चलवा रहे हैं। वही जब ये सब तस्वीर हमारे कैमरे में कैद हुई तो एम्बुलेंस में तैनात कर्मचारी भागते हुए दिखाई पड़े। 108 एम्बुलेंस चालक बड़ी आराम से एम्बुलेंस को दुकानदार की दुकान के ठीक सामने लगाकर तेल के ड्रमों को लोड करवा रहा है। जिस 108 एम्बुलेंस में मरीज होने चाहिए वहां पर तेल से भरे ड्रम हैं। साथ ही जब इसके लिए हमने उनसे बात करनी चाही तो जनाब भाग खड़े हुए। वहीँ जब आम पब्लिक अपने बुरे वक्त में इनको फोन करती है तो फ़ोन नही उठता या तो ये पहुंचते ही नही हैं।

वहीं EME (102, 108 जिला प्रभारी कन्नौज) का कहना है कि एम्बुलेंस का प्रयोग आम जन मानस की सुबिधाओं के लिए होता है किसी एम्बुलेंस को सवारी वाहन के लिए प्रयोग नहीं कर सकते हैं। अगर इस तरह का जनपद में कहीं कोई मामला है, तो जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। 108 और 102 सरकार की महत्वा कांछि योजना है इसके साथ कोई भी खिलवाड़ नहीं कर सकता।

 

UPCM सरकार में स्वास्थ्य विभाग बड़ी बड़ी बातें तो जरुर करता है लेकिन ऐसे कारनामे स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े करते हैं। अब सवाल यह है कि क्या जिले के स्वास्थ्य प्रभारी को ऐसे कारनामों के बारे में जानकारी नही है या फिर अधिकारियों की मिलीभगत से ही ऐसे कारनामे हो रहे हैं।

अब देखना होगा कि क्या प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारी कन्नौज में 108 एम्बुलेंस सेवा जो कि कमाई का जरिया बनी है, पर कोई कार्रवाई करते है या फिर किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को हटाकर अपनी पीठ थपथपा लेंगे। आपको बता दें कि अकसर ऐसे कारनामे अधिकारियों के संज्ञान में होने बाद भी धडल्ले से चलते हैं क्योंकि अधिकारियों को भी कुछ न कुछ फायदा जरुर होता है। अधिकारियों के संज्ञान में शिकायतें आने के बाद भी कोई एक्शन नही लिया जाता, कारण बस इतना है कि मंत्री और प्रशासन के अधिकारियों को जिले के अधिकारी कुछ बताते ही नही और मामलों को दबा देते हैं।

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