UPCM ने लोक भवन में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक की

लखनऊ (13 जून, 2019)।
UPCM
ने लोक भवन में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक की। इस दौरान UPCM द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत बाणसागर, अर्जुन सहायक, मध्य गंगा नहर परियोजना-2, सरयू नहर आदि सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में UPCM द्वारा सभी परियोजनाओं की प्रगति के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई। साथ ही, उन्होंने बुन्देलखण्ड क्षेत्र की पहुंज बांध स्पिलवे, पहाड़ी आधुनिकीकरण परियोजना और जमरार बांध परियोजना की प्रगति के बारे में भी जानकारी प्राप्त की।

UPCM ने अधिकारियों को नहर परियोजनाओं को समयबद्ध ढंग से और पूरी गुणवत्ता के साथ पूर्ण किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है। इसके दृष्टिगत, कृषकों को बेहतर सिंचाई सुविधा प्राप्त हो। उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि नहरों को पूरा करने में जिला प्रशासन का सहयोग लें। उन्होंने सिंचाई हेतु भूमि अधिग्रहीत करने के लिए अपर जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी बनाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि नहरों की सिल्ट सफाई 30 जून, 2019 तक पूरी करा ली जाये। कनहर सिंचाई परियोजना की प्रगति जानकारी प्राप्त करते हुए कहा कि UPCM ने कहा कि इसे शीघ्र पूर्ण करा लिया जाये।

ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा दिये जाने पर बल देते हुए UPCM ने कहा कि इसके लिए अधिकारी इजराइल जाकर इस तकनीक का अध्ययन कर इसे प्रदेश में लागू करें। किसानों को डिंप सिंचाई के बारे में जागरूक करें। ड्रिप सिंचाई के माध्यम से खेती की उर्वरता को अक्षुण्ण बनाये रखने में मदद मिलेगी।

UPCM ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बाढ़ बाहुल्य क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां बाढ़ से सुर क्षा के पुख्ता इन्तजाम समय से कर लिए जाएं। उन्होंने उत्तर प्रदेश वॉटर सेक्टर रीस्टंक्चरिंग परियोजना के द्वितीय चरण को समय से पूर्ण करने के निर्देश दिये। इस परियोजना के बनने से लाभान्वित होने वाले जनपदों में फतेहपुर , कौशाम्बी, बाराबंकी, रायबरेली, अमेठी, ललितपुर, कासगंज, एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, फर्रूखाबाद, इटावा, कन्नौज, औरैया, कानपुर देहात एवं कानपुर नगर शामिल हैं।

UPCM भूजल स्तर पर बल देते हुए कहा कि यदि समय रहते भूजल के स्तर को बनाए रखने की व्यवस्था नहीं की गई तो भविष्य में एक बड़ा संकट खड़ा होगा। इसके लिए भूजल संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा कि वर्षा जल प्रत्यक्ष भूजल रीचार्ज का प्रमुख कारक है। सतही एवं भूजल संसाधनों से की जाने वाली सिंचाई से भी आंशिक रूप से भूजल रीचार्ज होता है। उन्हांने समादेश क्षेत्रों में गूल की जगह पाइप लाइन लगाये जाने के निर्देश दिये।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव सिंचाई टी. वेंकटेश ने UPCM को अवगत कराया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई येजना से वित्त पोषित बाण सागर नहर परियोजना द्वारा 01 लाख 50 हजार 132 हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित की गई है। इसी प्रकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र की वर्षां से लम्बित 07 परियोजनाओं को पूर्ण किया गया है। इसके माध्यम से 26 हजार 264 हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित की गयी है और 70 हजार लोगों को 3.49 एम.सी.एम. पेयजल प्राप्त हो रहा है।

इस अवसर पर बाढ़ नियंत्रण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह, सिंचाई राज्यमंत्री बलदेव सिंह ओलख, मुख्य सचिव डॉ. अनूप चन्द्र पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव कुमार मित्तल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एस.पी. गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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