UPCM ने चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास और आबकारी विभागों का प्रस्तुतिकरण देखा

लखनऊ (19 जून, 2019)।
UPCM योगी आदित्यनाथ लोक भवन में चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास और आबकारी विभागों के प्रस्तुतिकरण के दौरान अधिकारियों को निर्देशित किया। राज्य में गन्ना क्षेत्र फल की वृद्धि को किसानों और प्रदेश के लिए भविष्य में अत्यन्त उपयोगी बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की ऐसी चीनी मिलें, जहां आसवनियां संचालित नहीं हैं, वहां आसवनियों की स्थापना हेतु आवश्यक कदम उठाये जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगस्त, 2019 तक किसानों को बकाया गन्ना मूल्य का शत-प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए रणनीति बनाकर भुगतान की कार्रवाई करायी जाए। अगले पेराई सत्र में प्रदेश की सभी चीनी मिलों को संचालित कराया जाए। चीनी मिलों के सुचारु संचालन के लिए कार्ययोजना बनाकर अभी से उनकी मरम्मत आदि के लिए कार्यवाही शुरू की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्ना किसानों को गन्ना आपूर्ति हेतु पर्ची निर्गमन व्यवस्था को सुदृढ़ और विसंगतियों को समाप्त किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि गन्ना किसानों को समय से आपूर्ति पर्चियां प्राप्त हों। उन्होंने गन्ना किसानों के लिए आवश्यक सुविधाएं यथा सड़कें, चीनी मिलों और गन्ना तौल स्थलों पर विश्रामालय, पेयजल एवं शौचालय आदि सुनिश्चित किये जाने के लिए राज्य स्तर पर एक निधि की स्थापना के भी निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में संचालित 2500 T.C.D. क्षमता से कम की चीनी मिलों की क्षमता वृद्धि के लिए एक चरणबद्ध त्रिवर्षीय कार्ययोजना बनाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों की क्षमता विस्तार योजना में कोजेन प्लाण्ट और आसवनी की स्थापना की व्यवस्था का समावेश किया जाए। उन्होंने कहा कि धुरियापार चीनी मिल में बॉयोफ्यूल प्लाण्ट की स्थापना के कार्य को शीघ्रता से आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने युवाओं हेतु रोजगार के सृजन के दृष्टिगत पैक्ड गन्ना जूस की बाजार में बिक्री सम्भावनाओं को तलाश कर योजना बनाने के निर्देश भी दिये।

प्रस्तुतिकरण के दौरान गन्ना विकास एवं चीनी मिलें राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेश राणा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि राज्य सरकार के प्रयास से गन्ना धुलाई की दर में कमी आयी है। इससे किसानों का लाभ बढ़ा है। उन्होंने कहा कि चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग की लगभग तीन हजार करोड़ रुपये की परिसम्पत्तियों को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। मुख्यमंत्री ने अतिक्रमित परिसम्पत्तियों को मुक्त कराने के लिए कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिये।

प्रमुख सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय भूसरेडडी ने प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि पिपराइच और मुण्डेर वा चीनी मिल एवं कोजेन प्लाण्ट की स्थापना का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। वर्तमान पेराई सत्र में गन्ने की पेराई कर इनका टांयल भी सम्पन्न किया जा चुका है। आगामी पेराई सत्र में इनका उदघाटन किया जा सकता है। इन चीनी मिलों में आसवनी की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। रमाला सहकारी चीनी मिल की क्षमता वृद्धि और कोजेन प्लाण्ट के निर्माण का कार्य अन्तिम चरण में है। पेराई सत्र 2019-20 से इस चीनी मिल का विस्तारित क्षमता पर संचालन किया जाएगा।

प्रमुख सचिव ने अवगत कराया कि विगत दो वर्षां में राज्य सरकार द्वारा गन्ना किसानों का अब तक लगभग 68,829 करोड़ रुपये का भुगतान कराया गया है। उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षां में उत्तर प्रदेश महाराष्टं को पीछे छोड़कर देश का सर्वाधिक गन्ना एवं चीनी उत्पादक राज्य बन गया है। चीनी उद्योग द्वारा प्रतिवर्ष किसानों को 33 से 36 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जा रहा है। इस उद्योग के माध्यम से 8.5 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हुआ है। विगत दो वर्षां में प्रदेश के गन्ना क्षेत्र फल में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह क्षेत्र फल 20.5 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 27.94 लाख हेक्टेयर हो गया है। 

प्रमुख सचिव ने बताया कि विगत दो वर्षां में प्रदेश का औसत चीनी परता 10.61 प्रतिशत से बढ़कर 11.48 प्रतिशत हुआ है, जो देश के औसत चीनी परता 10.90 प्रतिशत से 0.58 प्रतिशत अधिक है। गन्ना समितियों में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बढ़ा वा दिया गया है। गन्ना समितियों के माध्यम से विगत दो वर्षां में 5.60 लाख नये गन्ना कृषकों को गन्ना आपूर्ति सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। उन्होंने बताया कि गत दो वर्षां में 314 कि0मी0 पक्के सम्पर्क मार्गां का नव-निर्माण, 349 कि.मी. सम्पर्क मार्गां का सुदृढ़ी करण एवं पुननिर्माण, 1,384 कि.मी., सम्पर्क मार्गां की गडढामुक्ति के साथ सम्पूर्ण सतह नवीनीकरण कराया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि सड़कों को गडढामुक्त कराये जाने के स्थान पर उनका नव-निर्माण कराया जाए।

आबकारी विभाग के प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध शराब पर पूर्ण नियंत्र ण के लिए स्थानीय प्रशासन, पुलिस, आबकारी विभाग संयुक्त रूप से वृहद अभियान संचालित करें। अवैध शराब के निर्माण और बिक्री की सम्पूर्ण गतिविधियों की तह में जाकर इसके विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अवैध शराब के विरुद्ध व्यापक जांच अभियान शुरू किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभियान के दौरान प्रत्येक शराब की दुकान की जांच की जाए। जनपद बाराबंकी में घटित अवैध शराब बिक्री की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अवैध शराब पकड़ में आने पर आबकारी विभाग के स्थानीय अधिकारियों और थानों की जवाबदेही तय करने के भी निर्देश दिये। अवैध शराब की गतिविधियों में सम्मिलित लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों पर एन.एस.ए. लगाया जाए और इनकी सम्पत्ति जब्त करने की कार्रवाई भी की जाए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सार्वजनिक स्थलों यथा मन्दिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, स्कूल, अस्पताल और आबादी के निकट शराब की दुकानें स्थापित न हों। उन्होंने कहा कि तकनीकी का समुचित प्रयोग कर आबकारी विभाग की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए।पी.ओ.एस. मशीन सहित आपूर्ति श्रृंखला मॉडयूल के क्रियान्वयन में तेजी लायी जाए।

प्रस्तुतिकरण के दौरान प्रमुख सचिव आबकारी कल्पना अवस्थी ने बताया कि वर्ष 2017-18 के सापेक्ष वर्ष 2018-19 में आबकारी राजस्व प्राप्तियों में 6,598 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार, वर्ष 2019-20 में माह मई तक विगत वर्ष की अपेक्षा राजस्व प्राप्तियों में 784 करोड़ रुपये की वृद्धि की बढ़ोंत्तरी हुई है।

प्रमुख सचिव आबकारी ने बताया कि प्रदेश में 7 नई आसवनियों की स्थापना और 12 आसवनियों की क्षमता वृद्धि की गयी है। राज्य में प्रथम बार मदिरा/भांग की दुकानों का व्यवस्थापन ई-लॉटरी प्रणाली से किया गया है। थोक/बॉण्ड अनुज्ञापनों का निर्गमन, लेबुल अनुमोदन, शीरा का उठान एवं वितरण, मदिरा के थोक अनुज्ञापनों में आसवनी को इण्डेंट आदि को ऑनलाइन किया गया है। आबकारी निरीक्षकों के बैठने के लिए तहसील स्तर पर व्यवस्था की गयी है।

इस अवसर पर आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह, मुख्य सचिव डॉ. अनूप चन्द्र पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव सूचना अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एस.पी. गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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