UPCM योगी आदित्यनाथ ने लोक भवन में गो सेवा आयोग के साथ बैठक की

लखनऊ (08 जुलाई, 2019)UPCM योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गो सेवा आयोग गोवंश की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन हेतु जन जागरूकता पैदा करे। इसके लिए आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य जनपदों का भ्रमण कर कार्य करें। आयोग द्वारा यह देखा जाना चाहिए कि गो संरक्षण स्थलों यथा निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों, गोशालाओं आदि में गायों की उचित देखभाल की जा रही है। आयोग यह भी देखे कि गोवंश तस्करी एवं अवैध बूचड़खानों का संचालन न हो। गोवंश सहित पशुओं के प्रति होने वाली क्रूरता को भी रोका जाए। आयोग के पदाधिकारी इस हेतु प्रशासन और सामाजिक संगठनों का सहयोग लेकर कार्य करें।

मुख्यमंत्री ने लोक भवन में गो सेवा आयोग के कार्यों कोे प्रभावी बनाए जाने के सम्बन्ध में आहूत एक बैठक में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने अधिकारियों को गो सेवा आयोग के कार्यों के सुचारु और प्रभावी संचालन के लिए व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आयोग के लिए कार्यालय की व्यवस्था की जाए। आयोग के गैर सरकारी अध्यक्ष/सदस्य का कार्यकाल बढ़ाकर 03 वर्ष किए जाने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाए। आयोग के कार्यों के संचालन हेतु पदों का सृजन किया जाए। आयोग के सदस्यों को आवास/आवासीय भत्ता, सुरक्षा, मानदेय आदि अनुमन्य सुविधाएं उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।

UPCM योगी आदित्यनाथ ने लोक भवन में गो सेवा आयोग के साथ बैठक की

मुख्यमंत्री ने कहा कि गो सेवा आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य का जनपद भ्रमण का कार्यक्रम मुख्यालय द्वारा निर्गत किया जाए। गो सेवा आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के जनपद भ्रमण के समय जिला प्रशासन के साथ उनकी बैठक हो, जिसमें जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक सहित सभी सम्बन्धित अधिकारी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें। जनपद में भ्रमण के दौरान मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अथवा उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी आयोग के पदाधिकारियों के साथ रहें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गो सेवा का कार्य रुचि लेकर और सकारात्मक भाव से किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा निराश्रित गोवंश की सेवा किए जाने पर उसे राज्य सरकार द्वारा गोवंश के पालन-पोषण पर व्यय होने वाली धनराशि 30 रुपए प्रति गोवंश, प्रतिदिन दिए जाने की व्यवस्था का परीक्षण कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के अन्तर्गत व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा संरक्षित गोवंश की संख्या के सम्बन्ध में सम्बन्धित जिलाधिकारी और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रत्येक तिमाही में प्रमाण-पत्र प्राप्त कर, उनकी संस्तुति पर धनराशि का भुगतान डी.बी.टी. के माध्यम से किया जाए। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गोवंश का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा रहा है। उन्होंने इस व्यवस्था को बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवंश की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए जन सहयोग, जन सहभागिता आवश्यक है। उन्होंने गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर बल देते हुए कहा कि गोशालाओं में कम्पोस्ट बनाने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि कम्पोस्ट और संग्रहीत गोमूत्र की बिक्री से गोशालाएं काफी हद तक आत्मनिर्भर हो सकती हैं। गोशालाओं के सह उत्पादों के व्यावसायिक उपयोग की सम्भावनाओं को भी तलाशा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने गोवंश के नस्ल सुधार की कार्रवाई के सम्बन्ध में भी अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि उन्नत नस्ल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। नस्ल सुधार में भारतीय गोवंश को बढ़ावा दिया जाना श्रेयस्कर होगा।

इस अवसर पर दुग्ध विकास व पशुधन मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम नन्दन सिंह, मुख्य सचिव डाॅ. अनूप चन्द्र पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव कुमार मित्तल, अपर मुख्य सचिव नियोजन दीपक त्रिवेदी, प्रमुख सचिव दुग्ध विकास सुधीर बोबडे, प्रमुख सचिव कृषि अमित मोहन प्रसाद, सूचना निदेशक शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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