UPCM योगी गोरक्षनाथ मन्दिर में चल रहे ‘श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ’ के समापन में शामिल हुए

गोरखपुर (17 सितम्बर, 2019)।
ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज 50वीं पुण्यतिथि एवं महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज जी की पांचवी पुण्यतिथि समारोह के अन्तर्गत श्री गोरक्षनाथ मन्दिर में चल रहे ‘श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ’ में समापन दिन कथाव्यास अनन्त श्रीविभूषित जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने रूखमणि विवाह, सुदामा चरित्र, मार्कण्डेय भगवान की कथा, सुकदेव पूजन कथा, राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाई।

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समापन के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कहा कि कथा के माध्यम से हमें ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है जिससे हम अच्छा करने के लिए सदैव प्रेरित होते है। दुनिया के अन्दर किसी भी मत-मजहब की उतनी आयु नहीं हैं जितने वर्षों से हम श्रीमद्भगवत कथा सुनते आ रहे हैं। पाॅच हजार वर्षो से ऐसा केवल भारत में देखा जाता है कि एक वक्ता हो और तीन-चार घण्टे तक बोलता हो और हजारों की संख्या में लोग पूरे मनोयोग से उसे सुनते हो। यही कारण है कि बाकी देशों के लोगों को हमारी आध्यात्मिक ऊर्जा पर आश्चर्य होता है। यही आस्था भारत को जीवन्त और पवित्र बना रखा है। भारतीय मनीषियों ने शब्द को ब्रह्म माना है भागवत महापुराण की कथा सुनने से मनुष्य का जीवन सुखमय हो जाता है और वह स्वतः गौरवान्वित महसूस करता है क्योकि जीवन के तमाम रहस्यों का समाधान कथाओं के माध्यम से रहता है। ये कथाये हमारे इतिहास को जीवन्त और अक्षुण्य रखी है। गोरक्षपीठाधीश्वर ने कथाव्यास सहित श्रोताओं, यजमानों और व्यवस्था में जुड़े लोगों को आशीर्वचन देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

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कथाव्यास ने श्रीकृष्ण राम संकीर्तण से कथा प्रारम्भ करते हुए कहा कि जब भगवान की असीम कृपा होती है तब सत्संग का अवसर मिलता है और कथा सुनने से ही जीव का भाग्य का उदय होता है। अज्ञान के द्वारा उत्पन्न मोह भागवत भजन से समाप्त हो जाता है और व्यक्ति मोही के बजाय प्रेमी बन जाता है। जैसे सम्पति में लोगो का मोह हो जाता ठीक उसी प्रकार भक्तों के लिए कथा में मोह हो जाता है क्योंकि कथा और भगवान ही परम धन है। मीरा जी ने कहा ‘पायो जी मैने रामरतन धन पायो’ मीरा के लिए भगवान श्रीकृष्ण से बड़ा कोई धन नहीं है। एक जीव जब दूसरे जीव से मिलता है तो केवल जन्म मरण की ही चर्चा करता है, यही बन्धन का कारण इसलिए भगवान गीता में कहते है जो जीव मेरे जन्म कार्य का गायन करता उसे मैं जन्म कर्म के अनुसार अपने धाम में बुला लेते है। हम जब अपने जीवन को दैहिक, दैविक, भैविक ताॅव से तपाते है, तो कोई सद्गुरू आकर भगवद् शरणागति करा देते है उसे भगवान की शरण में लगा देते है। जिस प्रकार दूध को गर्म कर के गोपिया थोड़ी दही डाल देती दही डालने के बाद चुप चार रख दो यदि हिलाते डुलाते रहोगे तो दही नहीं जमेगा। उसी प्रकार सदगुरू के द्वारा शरणागति करा देने के बाद यदि श्रद्धा विश्वास से बताये मार्ग पर चलते रहोगे तो निश्चय ही परमात्मा की प्राप्ती हो जायेगी। इसके बाद भी उस दही की विपत्ती कम नहीं हुई गोपियाॅ एक बड़ी मढ़की में दही डालकर ऊपर मथानी डालकर उस दही के टुकड़े-टुकड़े कर दिया लेकिन, जिसने इतने प्रहार सहने के बाद हार नहीं मानी, वह तो नवनीत बन गया और जो नीचे बैठ गया वह छाछ रह गया। भगवान नवनीत के लिए मचल जाते है। जीव को कभी हार नहीं मानना चाहिए धैर्य ही परमात्मा की प्राप्त कराता है। भगवान कहते जो मुझे जैसा भजता है मैं भी उसे वैसे ही भजता हूॅ। भक्त मेरे लिए आंसु बहाते है तो भगवान भी अपने भक्तो के लिए रोते हैं। उदाहरण है कृष्ण और सुदामा।

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कथाव्यास ने आगे कहा कि भगवत कथा का फल तभी मिलता है जब आचार्य को दक्षिणा दे दिया जाय और हमें आप दक्षिणा रूप में यह आशीर्वाद दे कि मेरा मन भगवत भजन में लगा रहे। मेरा मन भगवत में तीन वचन दें: पहला- संयुक्त परिवार की रक्षा करेगें एक साथ भजन और भोजन करेगें। दूसरा- सात्विक आहार, बिहार, विचार रखेगें, तीसरा ‘हिन्दुत्व’ की रक्षा हेतु जब भी गोरक्षपीठ से आह्वाहन हो बाल-बच्चे समेत घर से निकल पड़े। उन्होनें कहा कि हम कथावाचक है फिर भी इस पीठ के राष्ट्रीय-सामाजिक अभियानो के हम ऋषि है और जब भी मेरे किसी प्रकार के सहयोग की इच्छा मात्र की जायेगी मैैं ‘वाचा-मनसा-कर्मणा’ उपस्थिति रहूॅगा।

‘श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ’ ज्ञान-भक्ति-दया का संगम है। भागवत कथा मनुष्य के तीनों प्रकार के दुःखों का नाश करती है। यह कथा सर्वथा निवृत्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ का सप्तदिवसीय आयोजन के पीछे सामाजिक-राष्ट्रीय जीवन में सुख-शान्ति की स्थापना मुख्य उद्देश्य होता है और इस वर्ष की कथा ने भी यह प्रमाणित किया है।

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कथावाचक ने कहा कि वाणी को बहुत संभालकर बोलना चाहिये। वाण से ज्यादा वाणी खतरनाक है। वाण का घाव भर जाता है किन्तु वाणी का घाव नही भरता। एक द्रोपदी की एक कटुवाणी ने महाभारत का बीजारोपण किया। यही से भागवत महात्म की ओर कथा मुड़ती है और कथाव्यास कह पड़ते है कि भागवत अद्वैतदर्शन का ग्रन्थ है। यह जीवन जीने की कला का ग्रन्थ है। भक्त को भगवान को मिलाने का ग्रन्थ है। भागवत के मार्ग पर चलने में देरी है, पहुंचने में देरी नही और भागवत कथा जरासंघ का बध, शिशुपाल का बध, हस्तिनापुर में यज्ञ का आयोजन से होते हुए सुदामा चरित्र पर केन्द्रीत हो जाती है।

कथावाचक संदर्भ बदलते हुए कहा कि अधार्मिक, अपराधियों, आतंकियों के सामने भय से भले कुछ कोई न करें किन्तु अन्ततः समाज उसका तिरष्कार कर देता है, उनका पतन सुनिश्चित है। रावण, कंस, हिरण्यकशिपु, हिरण्याक्ष जैसे असुर, इसके प्रमाण है। भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया। वसुदेव और देवकी को कारागार से मुक्त किया तथा महाराज उग्रसेन को मथुरा के सिंहासन पर आसीन किया। सान्दीपनी के आश्रम में दीक्षा ग्रहण की ओर सुदामा आदि गुरू भाइयों के साथ गुरूकुल का जीवन व्यतीत किया। वस्तुतः गुरूकुल मनुष्य बनाते थे। आज भी बचपन को सवाॅरना आवश्यक है। भावी संतति में संस्कार डालना आवश्यक है। मकान और दुकान तो वह स्वंय बना लेगा। अपनी परम्परा, संस्कृति का ज्ञान कराना  शिक्षालयों का मुख्य उद्देश्य होता है।

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श्रीमद्भागवत कथा के पूर्णाहुति के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश परमपूज्य महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज, जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज, पूर्व केन्द्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती जी, स्वामी राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने व्यासपीठ की आरती में सम्मिलित हुऐ। श्रीमद्भागवत महापुराण कथा यज्ञ के यजमानों महन्त रविन्द्रदास जी महाराज, ईश्वर मिश्र, सीताराम जायसवाल, जवाहरलाल कसौधन, पुष्पदन्त जैन, ओम प्रकाश जालान, चन्द्र प्रकाश अग्रवाल, गंगा राय, अरूण कुमार अग्रवाल उर्फ लाला बाबू, विकास जालान, संतोष कुमार अग्रवाल,  महेश पोद्दार, जितेन्द्र बहादुर चन्द, जितेन्द्र बहादुर सिंह, महेन्द्र पाल सिंह, मारकण्डेय यादव, गोरख सिंह, ओमप्रकाश कर्मचन्दानी, उर्मिला सिंह, रेवती रमणदास अग्रवाल, अवधेश सिंह, अजय कुमार सिंह, प्रदीप जोशी, अतुल सर्राफ, मृत्युंजय सिंह, चन्द बंसल आदि ने सपरिवार व्यास पीठ का पूजन किया। यजमान महेश पोद्दार, सीताराम जायसवाल, जवाहरलाल कसौधन आदि ने सात दिनों तक कथा सुनाने वाले कथाव्यास, वाद्ययंत्रों पर उनके सहयोगी सहित मंच पर उपस्थित संत महात्माओं का उत्तरीय ओढ़ाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महन्त रविन्द्रदास जी महाराज, स्वामी प्रपन्नाचार्य जी, अरूणेश शाही आदि लोग उपस्थित थे। संचालन डा. श्रीभगवान सिंह ने किया।

पुण्यतिथि समारोह में युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की 50वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की पाचवीं पुण्यतिथि समारोह के अन्तर्गत 18 सितम्बर, 2019 को प्रातः 10.30 बजे से ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की श्रद्धांजलि सभा सम्पन्न हुयी, जिसमें मणिराम छावनी, अयोध्या से पधारे श्रीराम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्यगोपाल दास जी महाराज एवं भारत सरकार के पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान सम्मिलित होंगे। इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण एवं सामाजिक सांस्कृतिक संगठनों की ओर से भी श्रद्धांजलि दी जायेगी।

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