प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान’ का शुभारम्भ किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रगति मैदान, दिल्ली में ‘पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान’ का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद गोरखपुर से वर्चुअल माध्यम से प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुर्गाष्टमी है। पूरे देश में आज शक्ति स्वरूपा का पूजन किया जा रहा है। शक्ति उपासना के इस पुण्य अवसर पर देश की प्रगति की गति को भी शक्ति देने का शुभ कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह समय भारत की आजादी के 75 वर्ष का है। आजादी के अमृत काल का है। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ हम अगले 25 वर्षाें के भारत की बुनियाद रच रहे हैं। पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान भारत के इसी आत्मबल को, आत्मविश्वास को और आत्मनिर्भरता के संकल्प तक ले जाने वाला है। यह नेशनल मास्टर प्लान 21वीं सदी के भारत को गतिशक्ति देगा। अगली पीढ़ी के इन्फ्रास्ट्रक्चर और मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को इस राष्ट्रीय योजना से गति प्राप्त होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान’ के माध्यम से सभी प्रोजेक्ट अपने निर्धारित समय पर पूरे होंगे, जिससे टैक्स का एक भी पैसा बर्बाद नहीं होगा। गतिशक्ति के इस महाभियान के केन्द्र में भारत के लोग, भारत की इण्डस्ट्री, भारत का व्यापार जगत, भारत के मैन्युफैक्चरर्स, भारत के किसान और भारत का गांव हैं। यह भारत की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को 21वीं सदी के भारत के निर्माण के लिए नयी ऊर्जा देगा और उनके रास्ते के अवरोधों को समाप्त करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने समय पर परियोजनाओं को पूरा करने का वर्क कल्चर विकसित किया है, जिससे समय से प्रोजेक्ट पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया यह बात स्वीकार करती है कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए क्वालिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण का एक रास्ता है, जो अनेक आर्थिक गतिविधियों को जन्म देता है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की सामूहिक शक्ति योजनाओं को पूरा करने का कार्य कर रही है। इसी वजह से अब दशकों से अंधूरी पड़ी बहुत सारी परियोजनाएं पूरी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि ‘पी0एम0 गतिशक्ति मास्टर प्लान’ सरकारी प्रोसेस और उससे जुड़े अलग-अलग स्टेक होल्डर्स को एक साथ लाती ही है, यह ट्रांसपोर्टेशन के अलग-अलग मोड्स को आपस में जोड़ने में भी मदद करती है।

प्रधानमंत्री ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों व लेफ्टिनेंट गवर्नर्स से अपील की कि वे अपने-अपने राज्यों में ‘पी0एम0 गतिशक्ति मास्टर प्लान’ को लागू करे। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है कि सभी बड़े प्रोजेक्ट्स अपने निर्धारित समय पर पूरे हों, क्योंकि प्रगति के लिए भी गति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षाें की तुलना में वर्तमान में ज्यादा गति के साथ कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत में पहली इण्टरस्टेट नेचुरल गैस पाइपलाइन वर्ष 1987 में कमीशन हुई थी और वर्ष 2014 यानी 27 साल में देश में 15 हजार कि0मी0 नेचुरल गैस पाइपलाइन बनी। वहीं आज देश भर में 16 हजार कि0मी0 से ज्यादा गैस पाइपलाइन पर कार्य किया जा रहा है। यह कार्य अगले 5-6 वर्षाें में पूरा होने का लक्ष्य है। वर्ष 2014 से पहले के 05 सालों में सिर्फ 03 हजार कि0मी0 रेलवे का विद्युतीकरण हुआ था। वहीं, बीते 07 सालों में वर्तमान सरकार द्वारा 24 हजार कि0मी0 से भी अधिक रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया है। इसी तरह, वर्ष 2014 के पहले 05 सालों में सिर्फ 1900 कि0मी0 रेल लाइन का दोहरीकरण हुआ था, जबकि पिछले 07 वर्षाें में 09 हजार कि0मी0 से ज्यादा रेल लाइनों का दोहरीकरण किया गया है। वर्ष 2014 से पहले 05 सालों में केवल 60 पंचायतों को ही ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया था। वहीं, वर्तमान सरकार के 07 वर्षाें में 1.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से कनेक्ट कर दिया गया है।

इसी तरह, वर्ष 2014 से पहले लगभग 250 कि0मी0 ट्रैक पर ही मेट्रो का संचालन हो रहा था और यह आज 700 कि0मी0 तक मेट्रो का विस्तार हो चुका है और 1000 कि0मी0 नये मेट्रो रूट पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले 4-5 वर्षाें में 200 से ज्यादा एयरपोर्ट, हेलीपैड तथा एयरडोम बनने जा रहे हैं। देश में उत्तर प्रदेश व तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर बनाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के किसानों और मछुआरों की आय बढ़ाने के लिए प्रोसेसिंग से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी तेजी से विस्तार दिया जा रहा है। वर्ष 2014 में देश में केवल 02 मेगा फूड पार्क्स थे, वहीं आज 19 मेगा फूड पार्क्स पर काम किया जा रहा है। अब इनकी संख्या 40 से अधिक पहुंचने का लक्ष्य है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘पी0एम0 गतिशक्ति मास्टर प्लान’ औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ एयरपोर्ट, नई सड़कों और रेल योजनाओं सहित यातायात की व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि इस प्लान के माध्यम से यह भी पता चलेगा कि कहां सड़क बनी है और कहां बनने की जरूरत है। इस डिजिटल मंच की मदद से विकास कार्याें को गति मिलेगी। इसके तहत, 16 मंत्रालयों और विभागों ने उन सभी परियोजनाओं को ज्योग्रॉफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जी0आई0एस0) मोड में डाल दिया है, जिन्हें 2024-25 तक पूरा किया जाना है। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रयासों से आने वाले समय में भारत दुनिया की बिजनेस कैपिटल बनेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से जनधन, आधार और मोबाइल की शक्ति से देश में सरकारी सुविधाओं को तेजी से सही लाभार्थी तक पहुंचाने में सफलता मिली है उसी तरह से ‘पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान’ इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में वैसा ही काम करने वाला है।

इससे पूर्व, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से ‘पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान’ का आज शुभारम्भ हो रहा है। इस अभियान का शुभारम्भ हम सभी को प्रोत्साहित करने वाला है। गतिशक्ति अभियान शारदीय नवरात्रि में शक्ति के अनुष्ठान के व्यावहारिक रूप में सामने आ रहा है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के एक नये युग की शुरुआत हो रही है। देश की सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश की गतिशक्ति अभियान में महती भूमिका होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट के लिये पहले ही अपनी कार्ययोजना प्रारम्भ कर चुकी है। भारत सरकार के सहयोग से प्रदेश में बहुत सारे प्रोजेक्ट कार्यान्वित हैं। स्वाभाविक रूप से यह आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गतिशक्ति योजना एक सुदृढ़ भारत के निर्माण के लिये सुशासन के आदर्श पहल के रूप में जानी जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत बेहतर समन्वय के माध्यम से किसी भी परियोजना के नियोजन त्वरित स्वीकृति व निर्णय लेने के लिये सिंगल विंडो का प्लेटफार्म उपलब्ध कराने का एक सशक्त माध्यम बनने जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के माध्यम से भारत का लक्ष्य निर्बाध मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी, संसाधनों का इष्टतम उपयोग, ससमय नवीन क्षमताओं का निर्माण तथा बाधाओं के शीघ्र समाधान के साथ समग्र बुनियादी ढांचे का विकास करना है। उन्होंने कहा कि 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की इस महायोजना के अन्तर्गत युवाओं के लिये रोजगार के अवसरों का सृजन होगा, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आयेगा। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आयेगी तथा सम्पूर्ण देश में आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था को 05 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है। इसमें उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार उत्तर प्रदेश को 01 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में अपनी प्रमुख भूमिका का निर्वहन करेगी। उत्तर प्रदेश ने पिछले साढ़े चार वर्ष के दौरान ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में एक बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया है। इस क्षमता के दृष्टिगत भारत सरकार ने अनेक परियोजनाओं को प्रदेश में कार्यान्वयन हेतु प्रदान किया है। इसमें प्रयागराज-वाराणसी-हल्दिया राष्ट्रीय अन्तर्देशीय जलमार्ग, ईस्टर्न एवं वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स एवं ट्रांसपोर्ट टर्मिनल, क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम तथा दिल्ली-जेवर-वाराणसी हाई स्पीड रेल लिंक आदि सम्मिलित हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तथा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का ग्रेटर नोएडा के दादरी में जंक्शन है। इससे उत्तर प्रदेश को अद्वितीय लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करने की ढेर सारी सम्भावनाएं हैं। यह कॉरिडोर प्रमुख निर्यात केन्द्रों, जैसे गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, मेरठ, बुलन्दशहर, कानपुर, इटावा, कन्नौज, दीनदयाल नगर, प्रयागराज आदि प्रमुख निर्यात केन्द्रों को अन्तिम मील का रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ई0डी0एफ0सी0) के लिये 46.17 हेक्टेयर भूमि की संशोधित मांग में से 41.91 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यू0डी0एफ0सी0) के लिये कुल 41.0614 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। ई0डी0एफ0सी0 भाऊपुर (कानपुर)-खुर्जा, पथ का शुभारम्भ हो चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं के विकास के परिणामस्वरूप राज्य में विभिन्न औद्योगिक केन्द्रों की क्षमता में वृद्धि होगी तथा नयी औद्योगिक परियोजनाएं भी स्थापित होंगी। इसके अतिरिक्त, राज्य में ग्रेटर नोएडा के दादरी में मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब तथा बोडाकी में मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट हब 304.29 हेक्टेयर में विकसित किये जा रहे हैं। इसमें से 84 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के हल्दिया-वाराणसी मार्ग (लगभग 1,000 कि0मी0) तथा वारणसी में गंगा पर मल्टी-मोडल टर्मिनल वर्ष 2018 से संचालित हैं। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज से पश्चिम बंगाल में हल्दिया तक भारत की प्रथम अन्तर्देशीय जलमार्ग परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में वाराणसी में मल्टी-मोडल टर्मिनल में प्रतिवर्ष 0.54 मिलियन टन कार्गों हैंडलिंग की क्षमता है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर गाजीपुर/राजघाट, रामनगर (वाराणसी) एवं प्रयागराज टर्मिनल में विभिन्न फ्लोटिंग टर्मिनल संचालित हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत का पहला ‘फ्रेट विलेज’ वाराणसी में लगभग 100 एकड़ में विकसित किया जा रहा है। राज्य के निर्यात केन्द्रों को पूर्वी बन्दरगाहों से जोड़ने वाला यह गांव कार्गो के आवागमन के लिये एक ट्रांस-शिपमेंट हब के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि स्वर्णिम चतुर्भज पर स्थित उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों का भारत का दूसरा सबसे बड़ा (लगभग 12,000 कि0मी0) नेटवर्क है। इस लाभ में और वृद्धि करते हुये उत्तर प्रदेश ने स्वयं को एक्सप्रेस-वेज के राज्य के रूप में स्थापित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस-वे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे तथा दिल्ली मेरठ लिंक एक्सप्रेस-वे के बाद वर्तमान सरकार 341 कि0मी0 लम्बा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे विकसित कर रही है, जो लगभग 98 प्रशित पूर्ण हो चुका है। यह प्रदेश की राजधानी लखनऊ को गाजीपुर होते हुए वाराणसी को जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि 296 कि0मी0 का बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे, जिसका 72 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। वह चित्रकूट को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर इटावा को जोड़ता है, जबकि 92 कि0मी0 लम्बा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे लगभग 28 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के सबसे लम्बे एक्सप्रेस-वेज में से एक लगभग 600 कि0मी0 लम्बा गंगा एक्सप्रेस-वे कार्य भी प्रारम्भ हो गया है। यह एक्सप्रेस-वे मेरठ, हापुड़ बुलन्दशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं, शाहजहापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ एवं प्रयागराज में आस-पास के प्रमुख निर्यात केन्द्रों को जोड़ेगा। परियोजना हेतु लगभग 93 प्रतिशत भूमि प्राप्त की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार भारत सरकार द्वारा लखनऊ-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एन0एच0-27) पर 01 एलिवेटेड राष्ट्रीय एक्सप्रेस-वे (एन0ई0-6) की योजना बनायी गई है। ये सभी एक्सप्रेस-वे प्रवेश-नियंत्रित 4 या 6 लेन के हैं तथा सम्पूर्ण राज्य में निर्बाध पूर्व से पश्चिम तक त्वरित कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं।

मुख्मयंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साथ सीमा साझा करने का रणनीतिक लाभ है तथा राज्य प्रमुख राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। इस लाभ में वृद्धि करते हुये राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में औद्योगिक केन्द्रों को लाभान्वित करने के लिये वायुमार्ग नेटवर्क एवं अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि लखनऊ एवं वाराणसी में वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों तथा कुशीनगर में नवीन अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के साथ ही, जेवर में नोएडा ग्रीन फील्ड अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और अयोध्या अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के साथ उत्तर प्रदेश शीघ्र ही 05 अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला देश का एक मात्र राज्य बन जाएगा। इससे राज्य से अन्तर्राष्ट्रीय गंतव्यों के लिये उड़ाने बढ़ेंगी। जिससे विदेश व्यापार एवं पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रेटर नोएडा के जेवर में 5,000 हेक्टयेर में विकसित होने वाला नोएडा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तर भारत के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक है तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एन0सी0आर0 में दूसरा हवाई अड्डा होगा। हवाई अड्डे के साथ एम0आर0ओ0/कार्गो कॉम्प्लेक्स और एयरोट्रोपोलिस एवं एकीकृत टाउनशिप जैसी परियोजनाओं के विकास की अच्छी सम्भावना है। उन्होंने कहा कि इसे अतिरिक्त क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के अन्तर्गत 25 से अधिक घरेलू वायु मार्गों का विकास किया जा रहा है। जिनमें आगरा, कानपुर, अलीगढ़, बरेली, चित्रकूट व झांसी आदि सम्मिलित हैं। इससे इन नगरों के निकट औद्योगिक केन्द्रों को वायुमार्ग कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश वर्ष 2018 में वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स नीति घोषित करने वाले अग्रणी राज्यों में से एक है। इस नीति के माध्यम से राज्य सरकार ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को उद्योग का दर्जा प्रदान किया है। इससे लॉजिस्टिक्स इकाइयों द्वारा औद्योगिक भूमि के उपयोग को भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई अवस्थापना सुविधाओं की योग्यता के अनुसार लागू किया गया है। इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने राज्य में लॉजिस्टिक्स उद्योग के लिये व्यवसाय करने की लागत कम कर दी है। इससे उत्तर प्रदेश को उत्तर भारत में प्रमुख लॉजिस्टिक्स केन्द्र के रूप में उभरने में सहायता मिली है। राज्य में लॉजिस्टिक्स के एकीकृत विकास के लिये अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय लॉजिस्टिक्स प्रकोष्ठ तथा लॉजिस्टिक्स योजना की प्रगति और कार्यान्वयन के अनुश्रवण के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय लॉजिस्टिक्स समन्वय समिति का गठन किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने एक व्यापक एकीकृत राज्य स्तरीय लॉजिस्टिक्स योजना विकसित की है। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा सम्पूर्ण राज्य में निर्यात केन्द्रों को लाभ पहुंचाने के लिये निर्बाध कनेक्टिविटी और कार्गो परिवहन के माध्यम से सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि भारत सरकार द्वारा लागू की गयी स्मार्ट सिटी योजना और अमृत सिटीज का अधिकतम भाग उत्तर प्रदेश में है। स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 7.55 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में है। जिसमें से तापीय विद्युत उत्पादन की स्थापित क्षमता जून, 2021 तक लगभग तक 23,900 मेगावॉट है, जो भारत में दूसरी सबसे अधिक है। राज्य में 28 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की तुलना में केवल 3,852 मेगावॉट की स्थापित क्षमता है। इस विशाल सम्भावित क्षमता को स्थापित करने के लिये निजी कम्पनियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने वितरण लाइसेंस के लिये ओपेन एक्सेस और डीम्ड अप्रूवल की अनुमति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार औद्योगिक स्थापना की अनेक परियोजनाएं विकसित कर रही है। उदाहरण के लिये प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 5,000 हेक्टेयर भूमि में प्रस्तावित डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर, जिसमें से 1445 हेक्टयेर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। इसी वर्ष माह अगस्त में प्रधानमंत्री द्वारा डिफेंस कॉरिडोर के अलीगढ़ नोड का उदघाटन किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस-वे के किनारे लॉजिस्टिक्स हब तथा हेरिटेज सिटी के विकास की योजना है। टप्पल-बाजना को लॉजिस्टिक्स हब तथा राया को हेरिटेज सिटी के लिये चयनित किया गया है। लॉजिस्टिक्स हब से विस्तारित व सुदृढ़ वितरण नेटवर्क विकसित होगा तथा बहुराष्ट्रीय एवं बड़ी कम्पनियां प्रदेश में निवेश हेतु आकर्षित होंगी। उन्होंने कहा कि यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र में 350 एकड़ से अधिक भूमि पर राज्य का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क प्रस्तावित है। इसी प्रकार लगभग 52 एकड़ भूमि पर टॉय पार्क तथा 118.03 एकड़ भूमि पर अपैरल पार्क और 40.09 एकड़ भूमि पर हैण्डीक्रॉफ्ट विकसित किया जा रहा है।

औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, औद्योगिक विकास राज्यमंत्री धर्मवीर सिंह, मुख्य सचिव आर0के0 तिवारी, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास अरविन्द कुमार एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस आयोजन में लखनऊ से वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

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